अपभ्रंश भाषा एवं व्याकरण

एक-मासिक ऑनलाइन पाठ्यक्रम                                                          

भारत को अनेक भाषा परिवारों की उद्गमस्थली माना जाता है और इंडो-आर्यन भाषा परिवार भी उनमें से एक है। भाषाविदों ने इंडो-आर्यन भाषा परिवार को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है: प्राचीन, मध्य और नवीन इंडो-आर्यन भाषाएँ। प्राकृत, पाली और अपभ्रंश जैसी भाषाएं मध्य इंडो-आर्यन भाषा समूह के अन्तर्गत आती हैं। अपभ्रंश भाषा में अनेक साहित्य रचे गये हैं, जिनका अध्ययन प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के सम्यक् ज्ञान लिए आवशयक है। इसी महत्त्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रखते हुए इंटरनेशनल स्कूल फॉर जैन स्टडीज़ (ISJS) आचार्य हेमचन्द्र विरचित सिद्धहेमशब्दानुशासन के आधार पर अपभ्रंश भाषा एवं व्याकरण के ऊपर एक एक-मासिक अनलाइन पाठ्यक्रम का आयोजन कर रहा है।

दिनांक
समय
माध्यम
शुल्क
3 अप्रैल – 2 मई, 2025
सायं 8 से 9:10 तक (IST)
ऑनलाइन
₹1000/-

विशेष आकर्षण

  • विषय विशेषज्ञों द्वारा हिंदी माध्यम में व्याख्यान।
  • व्याख्यानोपरान्त चर्चा।
  • अभ्यास हेतु साप्ताहिक गृहकार्य।
  • कार्यक्रम के सफल समापन के बाद ई-प्रमाणपत्र।
  • व्याख्यानों की पुनरावृत्ति हेतु कार्यक्रम के पश्चात् एक सप्ताह तक व्याख्यान की रिकॉर्डिंग सुनने का अवसर।

नोट:

  • पंजीकरण की स्वीकृति के उपरांत शुल्क जमा करने के लिए बैंक खाता विवरण उपलब्ध कराया  जायेगा।
  • प्रमाणपत्र हेतु एक महीने की अवधि मे व्याख्यानों के दौरान न्यूनतम 950 मिनट की उपस्थिति अनिवार्य।
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आवेदन की अंतिम तिथि : 28 मार्च, 2025 
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